ज़बाँ खामोश हो तो भी नज़र को लफ्ज़ दीजिये

ज़बाँ खामोश हो तो भी नज़र को लफ्ज़ दीजिये

ज़बाँ खामोश हो तो भी नज़र को लफ्ज़ दीजिये
बिन बोले बिन समझे से अहसाह मरते है।


Zabaan khaamosh ho to bhee nazar ko laphz deejiye
Bin bole bin samajhe se ahasaah marate hai.