होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को

होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को

होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को,
गजल नशीली होकर लडखडाती हुई निकलती है।


Hontho ke beech na rakha karo tum kalam ko,
Gajal nasheelee hokar ladakhadaatee huee nikalatee hai.