हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी

हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी

हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी,
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने के लिए.......॥


Haath zakhmee hue to kuchh apanee hee galatee thee,
Lakeeron ko mitaana chaaha tha kisee ko paane ke lie........