हद है कि गैर मुल्क के बल्बों की रौशनी

हद है कि गैर मुल्क के बल्बों की रौशनी

हद है कि गैर मुल्क के बल्बों की रौशनी

हद है कि गैर मुल्क के बल्बों की रौशनी
मेरे वतन की मिट्टी के दीपक को खा गयी....


Had hai ki gair mulk ke balbon kee raushanee,
Mere watan kee mittee ke deepak ko kha gayee....