रात चुप है मगर चाँद खामोश नहीं

रात चुप है मगर चाँद खामोश नहीं

रात चुप है मगर चाँद खामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज की फिर होश नही,
इस तरह डूबा हूँ तेरी मोहब्बत की गहराई में,
हाथ में जाम है और पिने का होश नहीं!!


Raat chup hai magar chaand khaamosh nahin,
Kaise kahoon aaj kee phir hosh nahee,
Is tarah dooba hoon teree mohabbat kee gaharaee mein,
Haath mein jaam hai aur pine ka hosh nahin!!