दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो

दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो

दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
कुछ तो रहने दो मेरी ज़ात पे एहसान अपना।


Diye Hain Zakhm Toh Marham Ka Takalluf Na Karo,
Kuchh Toh Rahne Do Meri Zaat Pe Ehsaan Apna.