दिए हैं ज़िन्दगी ने ज़ख्म कुछ ऐसे

दिए हैं ज़िन्दगी ने ज़ख्म कुछ ऐसे

दिए हैं ज़िन्दगी ने ज़ख्म कुछ ऐसे,
कि जिनका वक़्त भी मरहम नहीं है...


Die hain zindagee ne zakhm kuchh aise,
Ki jinaka vaqt bhee maraham nahin hai...