दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं,
ज़ख्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं !!


Dard ke phool bhee khilate hain bikhar jaate hain,
Zakhm kaise bhee hon kuchh roz mein bhar jaate hain !!