जो शिकवे थे बरसों से वो पल में खत्म हो गए

जो शिकवे थे बरसों से वो पल में खत्म हो गए

जो शिकवे थे बरसों से वो पल में खत्म हो गए,
ये मेहरबानी थी हमपे, या नए सितम हो गए !!


Jo shikave the barason se vo pal mein khatm ho gae,
Ye meharabaanee thee hamape, ya nae sitam ho gae !!