कुछ बेरहमी है ज़रा इस नूर ऐ ऐन मैं

कुछ बेरहमी है ज़रा इस नूर ऐ ऐन मैं

कुछ बेरहमी है ज़रा इस नूर-ऐ-ऐन मैं,
मिलता है इज़्तिराब यूँही दिल के चैन मैं,
सैलाब देखता हूँ तो आता है ये ख्याल,
पानी भटक रहा है तलाश-ऐ-हुसैन मैं.


Kuch Barhami Hai Zara Is Noor-E-Ain Main,
Milta Hai Iztiraab Yunhi Dil K Chain Main,
Selaab Dekhta Hoon Tou Ata Hai Ye Khyal,
Pani Bhatak Raha Hai Talash-E-Hussain Main.