कम ही होते हैं जज्बातों को समझने वाले

कम ही होते हैं जज्बातों को समझने वाले

कम ही होते हैं जज्बातों को समझने वाले,
इसलिए शायद शायरों की बस्तियाँ नहीं होती।


Kam hee hote hain jajbaaton ko samajhane vaale,
Isalie shaayad shaayaron kee bastiyaan nahin hotee.