और ज़िक्र क्या कीजिये अपने दिल की हालत का

और ज़िक्र क्या कीजिये अपने दिल की हालत का

और ज़िक्र क्या कीजिये अपने दिल की हालत का,
कुछ बिगड़ती रहती है कुछ संभलती रहती है..


Aur zikr kya keejiye apane dil kee haalat ka,
Kuchh bigadatee rahatee hai kuchh sambhalatee rahatee hai..