एक बुलावा मौत का क्या आया झट से चल पड़े उठ कर

एक बुलावा मौत का क्या आया झट से चल पड़े उठ कर

एक बुलावा मौत का क्या आया झट से चल पड़े उठ कर,
कहाँ तो रोज़ कहते थे.....हमें फ़ुरसत ही नहीं मिलती


Ek bulaava maut ka kya aaya jhat se chal pade uth kar,
Kahaan to roz kahate the.....hamen furasat hee nahin milatee