अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी

अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी

अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए !!


Abhi raat kuchh hai baaki na utha naqaab saaqi
Tira rind girte girte kahin phir sambhal na jaaye