ग़लतफहमी में जीने का मज़ा कुछ और ही है

ग़लतफहमी में जीने का मज़ा कुछ और ही है

ग़लतफहमी में जीने का मज़ा कुछ और ही है..
वरना हकीकतें तो अक्सर रुला देती है।


Galataphahamee mein jeene ka maza kuchh aur hee hai..
Varana hakeekaten to aksar rula detee hai.