हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल ए ज़ब्ती समझते हैं Neha / Jan 31, 2022 हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल ए ज़ब्ती समझते हैं हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं कि जिन को पढ़ के लड़के बाप को ख़ब्ती समझते हैं Ham aisee kul kitaaben qaabil-e-zabtee samajhate hain Ki jin ko padh ke ladake baap ko khabtee samajhate hain Shayari 2 Line Shayari Ham Shayari Kitab Shayari Samajh Shayari