हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल ए ज़ब्ती समझते हैं

हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल ए ज़ब्ती समझते हैं

हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं
कि जिन को पढ़ के लड़के बाप को ख़ब्ती समझते हैं


Ham aisee kul kitaaben qaabil-e-zabtee samajhate hain
Ki jin ko padh ke ladake baap ko khabtee samajhate hain