हकीकत कुछ और भी होती है

हकीकत कुछ और भी होती है

हकीकत कुछ और भी होती है,
गुमसुम बैठा हर इंसान पागल नहीं होता


Hakeekat kuchh aur bhee hotee hai,
Gumasum baitha har insaan paagal nahin hota