सज़ा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की निशानियाँ

सज़ा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की निशानियाँ

सज़ा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की निशानियाँ
ना जानें क्यूँ मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग


Saza ban jaatee hai guzare hue vaqt kee nishaaniyaan
Na jaanen kyoon matalab ke lie meharabaan hote hai log