सभी को मयस्सर कहाँ ये क़ाबिलियत अतुल

सभी को मयस्सर कहाँ ये क़ाबिलियत अतुल

सभी को मयस्सर कहाँ ये क़ाबिलियत अतुल,
कि लिख के चीख लेता हूँ ज़ुबान खोलनी नहीं पड़ती !!


Sabhee ko mayassar kahaan ye qaabiliyat atul,
Ki likh ke cheekh leta hoon zubaan kholanee nahin padatee !!