सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे

ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे


Safar kee had hai vahaan tak kee kuchh nishaan rahe
Chale chalo kee jahaan tak ye aasamaan rahe

Ye kya uthaaye kadam aur aa gayee manjil
Maza to tab hai ke pairon mein kuchh thakaan rahe