शायर ए फितरत हूँ मैं जब फिक्र फरमाता हूँ

शायर ए फितरत हूँ मैं जब फिक्र फरमाता हूँ

शायर-ए-फितरत हूँ मैं जब फिक्र फरमाता हूँ..
मैंरूह बनकर ज़र्रे ज़र्रे में समा जाता हूँ मैं...


Shaayar-e-phitarat hoon main jab phikr pharamaata hoon..
Mainrooh banakar zarre zarre mein sama jaata hoon main...