रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं...
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है...!!


Roz patthar kee himaayat mein gazal likhate hain...
Roz sheeshon se koee kaam nikal padata hai...!!