रूह का बोझ बन बैठे है कुछ ख़्वाब

रूह का बोझ बन बैठे है कुछ ख़्वाब

रूह का बोझ बन बैठे है कुछ ख़्वाब

रूह का बोझ बन बैठे है कुछ ख़्वाब,
टूटते भी नहीं है, छूटते भी नहीं है...!


Rooh ka bojh ban baithe hai kuchh khvaab,
Tootate bhee nahin hai, chhootate bhee nahin hai...!