मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू

मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू

मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू,
ख्वाहिश-ए-दीदार में सब कुछ गँवा दिया,
किसी ने दी खबर कि वो आयेंगे रात को,
इतना किया उजाला कि घर तक जला दिया।


Muddat Se Thi Kisi Se Milne Ki Aarzoo,
Khwahish-e-Deedar Mein Sab Kuchh Ganwa Diya,
Kisi Ne Di Khabar Ki Woh Aayenge Raat Ko,
Itna Kiya Ujala Ke Ghar Tak Jala Diya.