बाहर लाख दिये जला लूं मै

बाहर लाख दिये जला लूं मै

बाहर लाख दिये जला लूं मै,
पर अंदर अंदर तो बुझती ही जा रही हूं आहिस्ता आहिस्ता...


Baahar laakh diye jala loon mai,
Par andar andar to bujhatee hee ja rahee hoon aahista aahista...