बढती उम्र में इश्क हो तो अचरज नहीं साहिब

बढती उम्र में इश्क हो तो अचरज नहीं साहिब

बढती उम्र में इश्क हो तो अचरज नहीं साहिब,
ये जिंदगी फिर से मुस्कुराने की जिद में है।


Badhatee umr mein ishk ho to acharaj nahin saahib,
Ye jindagee phir se muskuraane kee jid mein hai.