फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि ‘रौशनाई’ है


Falak pe bhor kee dulhan yoon saj ke aaee hai,
Ye din uga hai ya sooraj ke ghar sagaee hai !!
Abhi bhee aate hain aansoo meree kahaanee mein,
Kalam mein shukr-e- khuda hai ki ‘raushanaee’ hai !!