दब गई थी नींद कहीं करवटों के बीच

दब गई थी नींद कहीं करवटों के बीच

दब गई थी नींद कहीं करवटों के बीच

दब गई थी नींद, कहीं करवटों के बीच,
दर पर खड़े रहे, कुछ ख्वाब रात भर...!


Dab gaee thee neend, kaheen karavaton ke beech,
Dar par khade rahe, kuchh khvaab raat bhar...!