तेरे बिन ग़म ए जाम अब होठों से पिया नहीं जाता

तेरे बिन ग़म ए जाम अब होठों से पिया नहीं जाता

तेरे बिन...
ग़म-ए-जाम अब होठों से पिया नहीं जाता...
शाम तो ढल जाती है, बस जिया नहीं जाता...


Tere bin...
Gam-e-jaam ab hothon se piya nahin jaata...
Shaam to dhal jaatee hai, bas jiya nahin jaata...