तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से Admin / Jan 31, 2022 तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से... वैसे तो हर रोज़ यहाँ सूरज का निकलना जारी है...!! Taras rahe hain ek sahar ko jaane kitanee sadiyon se... Vaise to har roz yahaan sooraj ka nikalana jaaree hai...!! Shayari Ras Shayari Sad Shayari Taras Shayari