ठहरता एक भी मंजर नहीं वीरान आँखों में

ठहरता एक भी मंजर नहीं वीरान आँखों में

ठहरता एक भी मंजर नहीं वीरान आँखों में,
हमारे शहर से बादल भी बिन बरसे निकलता है।


Thheharta Ek Bhi Manzar Nahi Veeran Aankhon Mein,
Humare Shahar Se Badal Bhi Bin Barse Nikalta Hai.