चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए,

चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए,

चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए,
खुद नजरों में अपनी बेगाने हुए,
अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें,
इश्क में तेरे इस कदर दीवाने हुए।


Chaahat ke ye kaise afasaane hue,
Khud najaron mein apanee begaane hue,
Ab duniya kee nahin koee paravaah hamen,
Ishk mein tere is kadar deevaane hue.