चमक रहा हूँ जो सूरज का की तरह तो सब हैरान हैं क्यों
चमक रहा हूँ जो सूरज का की तरह तो सब हैरान हैं क्यों?
मेरी कामयाबी से सब इतना परेशान हैं क्यों?
हर रात टकराया हूँ मैं इक नई मुसीबत से नई सुबह के लिए
सबको दिखा हुनर मेरा लेकिन
किसी ने न पूछा की ये जख्मों के निशान हैं क्यों?
Chamak raha hoon jo sooraj ka kee tarah to sab hairaan hain kyon?
Meree kaamayaabee se sab itana pareshaan hain kyon?
Har raat takaraaya hoon main ik naee museebat se naee subah ke lie
Sabako dikha hunar mera lekin
Kisee ne na poochha kee ye jakhmon ke nishaan hain kyon?