ग़म सलीक़े में थे, जब तक हम ख़ामोश थे

ग़म सलीक़े में थे, जब तक हम ख़ामोश थे

ग़म सलीक़े में थे, जब तक हम ख़ामोश थे

ग़म सलीक़े में थे, जब तक हम ख़ामोश थे,
ज़रा ज़ुबां क्या खुली, दर्द बे-अदब हो गए।


Gam saleeqe mein the, jab tak ham khaamosh the,
Zara zubaan kya khulee, dard be-adab ho gae.