ख़्वाहिशें तभी मुक़म्मल होती हैं

ख़्वाहिशें तभी मुक़म्मल होती हैं

ख़्वाहिशें तभी मुक़म्मल होती हैं...
जब तलब भी 'शिद्दत' से भरी हो...!!


Khvaahishen tabhee muqammal hotee hain...
Jab talab bhee shiddat se bharee ho...!!