कुछ इस तरह सिमटा है तू मुझमें

कुछ इस तरह सिमटा है तू मुझमें

कुछ इस तरह सिमटा है तू मुझमें
बिखरी हुई छाँव में धूप के टुकड़े जैसे..!!!


Kuchh is tarah simata hai too mujhamen
Bikharee huee chhaanv mein dhoop ke tukade jaise..!!!