किस लिए साहेब किसी बे वफ़ा को अपना कहूँ

किस लिए साहेब किसी बे वफ़ा को अपना कहूँ

किस लिए साहेब किसी बे वफ़ा को अपना कहूँ

किस लिए साहेब किसी बे-वफ़ा को अपना कहूँ,
दिल के शीशे को किसी पत्थर से क्यों टकराऊँ में।।


Kis lie saaheb kisee be-vafa ko apana kahoon,
Dil ke sheeshe ko kisee patthar se kyon takaraoon mein..