कांच के टुकड़े बन कर बिखर गयी जिंदगी मेरी

कांच के टुकड़े बन कर बिखर गयी जिंदगी मेरी

कांच के टुकड़े बन कर.. बिखर गयी जिंदगी मेरी ,
किसी ने समेटा ही नहीं हाथ जख्मी होने के डर से


Kaanch ke tukade ban kar.. bikhar gayee jindagee meree ,
Kisee ne sameta hee nahin haath jakhmee hone ke dar se