कहीं फ़लक पे सरकती है सरसराती हुई

कहीं फ़लक पे सरकती है सरसराती हुई

कहीं फ़लक पे सरकती है सरसराती हुई
कहीं दिलों की फ़ज़ा में पतंग उड़ती है
-ज़फ़र इक़बाल


Kaheen falak pe sarakatee hai sarasaraatee huee
Kaheen dilon kee faza mein patang udatee hai
-zafar iqabaal