कई बार रक़ीबों ने मारे मुझे खंज़र

कई बार रक़ीबों ने मारे मुझे खंज़र

कई बार रक़ीबों ने मारे मुझे खंज़र
हर बार मैंने हँसकर ख़ुद को सँवारा है


Kaee baar raqeebon ne maare mujhe khanzar
Har baar mainne hansakar khud ko sanvaara hai