अब तरसती हैं तेरी दीद को आँखें मोहसिन

अब तरसती हैं तेरी दीद को आँखें मोहसिन

अब तरसती हैं तेरी दीद को आँखें मोहसिन,
एक ज़माना था के हम रोज़ मिला करते थे।


Ab Tarasti Hain Teri Deed Ko Aankhein Mohsin,
Ek Zamana Tha Ke Hum Roj Mila Karte The.