अब कोई फर्क नहीं पड़ता ख्वाइशे अधूरी रहने पर

अब कोई फर्क नहीं पड़ता ख्वाइशे अधूरी रहने पर

अब कोई फर्क नहीं पड़ता ख्वाइशे अधूरी रहने पर,
मैने बहुत करीब से देखा है खुद को टूटते हुए।


Ab koee phark nahin padata khvaishe adhooree rahane par,
Maine bahut kareeb se dekha hai khud ko tootate hue.