अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए


Ab use roz na sochoon to badan tootata hai faraaz
Umar gujaree hai us kee yaad ka nasha kiye hue