चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ

चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ

चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ,
तुम्हारी दीद हो जाती तो खुल जातीं मेरे आँखें।


Chale Aao Musafir Aakhiri Saansein Bachi Hain Kuchh,
Tumhari Deed Ho Jaati Toh Khul Jaati Meri Aankhein.