फ़िक्र ये थी कि शब-ए-हिज्र कटेगी कैसे

फ़िक्र ये थी कि शब-ए-हिज्र कटेगी कैसे

फ़िक्र ये थी कि शब-ए-हिज्र कटेगी कैसे,
लुत्फ़ ये है कि हमें याद न आया कोई।


Fikr Ye Thi Ke Shab-E-Hizr Kategi Kaise,
Lutf Ye Hai Ke Humein Yaad Na Aaya Koyi.