ज़िम्मेदारियों के बादल आनंद के सूर्य को ढक लेती हैं

ज़िम्मेदारियों के बादल आनंद के सूर्य को ढक लेती हैं

ज़िम्मेदारियों के बादल आनंद के सूर्य को ढक लेती हैं

ज़िम्मेदारियों के बादल आनंद के सूर्य को ढक लेती हैं
मन तो करता है कभी-कभी सपने कमल से खिले !!


Zimmedaariyon ke baadal aanand ke soory ko dhak letee hain
Man to karata hai kabhee-kabhee sapane kamal se khile !!