ज़माना खड़ा है हाथों में पत्थर लेकर

ज़माना खड़ा है हाथों में पत्थर लेकर

ज़माना खड़ा है हाथों में पत्थर लेकर,
कहाँ तक भागूं शीशे का मुक़द्दर लेकर।


Zamana Khada Hai Haatho Mein Patthar Lekar,
Kahan Tak Bhaagu Sheeshe Ka Muqaddar Lekar.