हक़ से दे तो तेरी नफरत भी सर आँखों पर

हक़ से दे तो तेरी नफरत भी सर आँखों पर

हक़ से दे तो तेरी "नफरत" भी सर आँखों पर...
खैरात में तो तेरी "मोहब्बत" भी मंजूर नहीं...


Haq se de to teree "napharat" bhee sar aankhon par...
Khairaat mein to teree "mohabbat" bhee manjoor nahin...