हसरतों का बोझ लेकर बैठता हूँ सत्संग में

हसरतों का बोझ लेकर बैठता हूँ सत्संग में

हसरतों का बोझ लेकर बैठता हूँ सत्संग में
फिर शिकायत करता हूँ मन क्यों लगता नही !!


Hasaraton ka bojh lekar baithata hoon satsang mein
Phir shikaayat karata hoon man kyon lagata nahee !!