हवाओं की भी अपनी सियासतें हैं कही बुझी आग को

हवाओं की भी अपनी सियासतें हैं कही बुझी आग को

हवाओं की भी अपनी सियासतें हैं कही बुझी आग को...
भड़का देती हैं, तो कही जलते चिराग को बुझा देती हैं...!!


Havaon kee bhee apanee siyaasaten hain kahee bujhee aag ko...
Bhadaka detee hain, to kahee jalate chiraag ko bujha detee hain...!!